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Showing posts from October, 2020

कविता: लड़की का मोल

लड़की का मोल अजनबी से रिश्ता जोड़ अपनों से नाता तोड़, एक नए घर और एक नई दुनिया का रुख मोड़, एक का बन, सबको अपना बना लेती है , उनकी खुशी बन अपना गम भुला देती है, ऐसे ही बिखरे पन्नों को समेट कर किताब बनाती है, एक घर को स्वर्ग और एक को जन्नत बनाती है वो, फिर भी जाने क्यों ना समझे लोग लड़की का मोल, धरती पर ना जाने कितने किरदारों को निभाती है, बिना किसी स्वार्थ के गैरों को अपना बनाती है, हर लड़की अपने जन्म को एक आदर्श बनाती है || - Preeti Sachan