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|| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ||

✒  लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है । चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है ॥ मन का साहस रगों में हिम्मत भरता है । चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है ॥ मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाता है । जा जा कर खाली हाथ लौट कर आता है ॥ मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में । बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में ॥ मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो । क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो ॥ जब तक न सफल हो, नींद – चैन को त्यागो तुम । संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम ॥ कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ -- ✒ हरिवंश राय बच्चन    Follow on facebook Subscribe for more updates <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js">...

मधुशाला

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।  प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२। प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला, मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३। भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला, कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ! पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४। मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला, भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला, उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ, अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५। मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, 'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला, अलग-अल...