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कविता: मेरी बहना

' "मेरी बहना"  सुंदर सा चेहरा, इंसानियत की मूरत है वो, भोली और प्यारी, बहुत ही खूसूरत है वो, कभी दोस्त, तो कभी मां होती है वो, हर किरदार में, मेरे साथ होती है वो, हमारी कामयाबी पर होती है हमसे भी ज्यादा खुश, नाकामी के वक्त समेट लेती है हमारे सारे दुख, कितनी ही मेरी गलतियों को नकारा है उसने, अपने दुखो को छिपाकर हंसाया है उसने, सभी रिश्तों को शिद्दत से निभाती है वो, लेकिन हमारे रिश्ते को सबसे खास बनाती है वो, कोई और नहीं वो प्यारी सी, मेरी बहना है।। 🖊️ अर्पित सचान this poem dedicated to my dearest elder sister(Preeti Sachan). Thankyou