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छोड़ दिया है

✒   छोड़ दिया हमने वक्त से टकराना बांधकर  उम्मीदे फिर बिखर जाना  उलझे है हम, न दिखे कोइ ठिकाना मानो परीक्षा में आया कोई प्रश्न अनजाना  ना होना मायूस तुम ना हार अपनाना  करते रहो कर्म, ना फल की उम्मीद लगाना  है आशा-निराशा का ये रिश्ता पुराना  इस कठिन डगर में बस चलते जाना  --अर्पित सचान  follow on facebook Whatsapp Me Follow for more updates हमारी जिंदगी कुछ हंसना गाना शुरू करो