✒ हमारी जिंदगी ऊपर वाले ने भेजा हमें कोरे कागज के साथ कि हम लिख सके हमारी जिंदगी हमने जैसा समझा हमने जैसा किया वैसे ही लिख दी हमारी जिंदगी मिटाने चले दुख कई बार मिली न रबर क्योकि खून से लिखी थी हमारी जिंदगी कही आशू बह रहे थे कही गुब्बारे फूट रहे थे बस दो अक्षरो मे थी हमारी जिंदगी जब हम समझ सके क्या है जिंदगी उसने छीन ली हमारी जिंदगी बस इतनी सी थी हमारी जिंदगी ✒ अर्पित सचान follow on facebook See my thoughts to touch thi s To see my other Pages touch this Follow my thoughts on the the yourQuote
I am Arpit Sachan, a resident of Pukhrayan, a city in the Kanpur Dehat district of Uttar Pradesh. I have done my Graduation from Bundelkhand University in science stream and I have also done Post-Graduation(2019-21) from V.S.S.D College (Kanpur University) in Mathematical Science. I like to write poems, articles which I have written on this blog.