Skip to main content

छोड़ दिया है

 
छोड़ दिया हमने वक्त से टकराना
बांधकर  उम्मीदे फिर बिखर जाना 
उलझे है हम, न दिखे कोइ ठिकाना
मानो परीक्षा में आया कोई प्रश्न अनजाना 
ना होना मायूस तुम ना हार अपनाना 
करते रहो कर्म, ना फल की उम्मीद लगाना 
है आशा-निराशा का ये रिश्ता पुराना 
इस कठिन डगर में बस चलते जाना 

--अर्पित सचान 

Comments

Prakhar Saxena said…
Nice

Popular posts from this blog

बाल दिवस - 14 नवंबर 2024

  आज तारीख है 14/11/2024 , आज है बाल दिवस, बच्चों का दिन, मै भी हमेशा बच्चा  बन कर रहना चाहता हूँ, मुझे इस प्रकार जीवन जीने मे बड़ा ही आनंद आता है वैसे मेरे आनंद का विषय गणित भी है लेकिन मुझे गणित के आनंद के बाद इस तरीके का जीवन जीना पसंद है , इसमे कठिनाइयाँ बहुत होती लेकिन मै खुश हूँ उन्हे सुलझाने में, हाँ क्योंकि मै गणितज्ञ हूँ और मेरा काम है, समस्याओ का समाधान करना, चाहे वो जीवन की हो या गणित की, मेरे पास गणित के logics है , और वह समस्याओ के समाधान मे बहुत हेल्प करते है, मेरा हमेशा से मानना है जीवन को वैसे जियो जैसे आप चाहो न कि कोई दूसरा, खुद के अलावा कोई नहीं जान सकता आपको कैसे खुश रहना है | ''चलो न बच्चों की तरह जीवन जीते है, खुशियों को फिर से सीते है''  बात करते है हम बाल दिवस मानते क्यों है ? बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस है। नेहरू जी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें देश का भविष्य मानते थे। इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को विशेष मान्य...

कविता : आज फिर से

. आज फिर से..... एक जिंदगी खो दी आंखों के सामने  आज फिर से..... मौत को इतने करीब से देखा सामने आज फिर से..... जिंदगी को हारते देखा आज फिर से..... अपने को हमेशा के लिए दूर होते देखा आज फिर से..... अपने को खो दिया !!!                                         -अर्पित सचान

कविता: मुहोब्बत

. मुहोब्बत उसने पूछा- मुहोब्बत क्या है मैंने कहा 'आग  और दिल? 'चूल्हा है वो मुस्कराई और बोली- तो क्या पकाते हो इस पर? 'रिश्ते और जज्बात' ये चूल्हा जलता कैसे है? 'बातो से मुलाकातों से' उसने शरारती लहजे में पूछा- अच्छा तो मैं क्या हूं? मैंने कहा- "तुम, रोशनी हो और तपिश भी" वो मुस्कराई और शांत हो गई। उसने नहीं पूछा धुआं क्या है? वो अब भी नहीं जानती, मुहोब्बात क्या है । 🖊️ अर्पित सचान