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कविता: मेरी बहना

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"मेरी बहना"

 सुंदर सा चेहरा, इंसानियत की मूरत है वो,
भोली और प्यारी, बहुत ही खूसूरत है वो,
कभी दोस्त, तो कभी मां होती है वो,
हर किरदार में, मेरे साथ होती है वो,
हमारी कामयाबी पर होती है हमसे भी ज्यादा खुश,
नाकामी के वक्त समेट लेती है हमारे सारे दुख,
कितनी ही मेरी गलतियों को नकारा है उसने,
अपने दुखो को छिपाकर हंसाया है उसने,
सभी रिश्तों को शिद्दत से निभाती है वो,
लेकिन हमारे रिश्ते को सबसे खास बनाती है वो,
कोई और नहीं वो प्यारी सी, मेरी बहना है।।

🖊️अर्पित सचान



this poem dedicated to my dearest elder sister(Preeti Sachan). Thankyou


Comments

Swapnil sharma said…
Very nice poem
Anonymous said…
क्या कविता लिखी है आपने सर बहुत अक्षा लगा मुझे मेरे बहन की याद आ गई ।
Shruti mishra said…
Wow....
Alok singh said…
Nice one
Sonal Rastogi said…
Beautiful ❤️❤️❤️❤️
Sarthak singh said…
I also love my sister too muchh what a poem.
Pawan Sharma Lucknow said…
It's true. Sister is only one.
Preeti sachan said…
Thanku sooooooooo much Arpit
Bcos this poem dedicate to me

I love you bro
Vineet yadav said…
Akshi kvita likhi hai apne sir, very nice
I also love sis....
Arpit Sachan said…
Thanks to all of you guys, for supporting me.🙏🙏🙏
Nikhil Puniya said…
Beautiful lines
Ankita Singh said…
Beautiful
Anshu shukla said…
Wow, heart touching 💜 ❤️

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