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कविता : मुस्कान

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'मुस्कान'

आ लिख दूं कुछ तेरे बारे में..........!

मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती हैं,

मुझे खुद के अल्फाजों में....!

मैं जब मिलती हूं तुझसे,

तेरे चेहरे की रौनक बड़ जाती है

आंखों में शर्म के साथ,

होठो पे नज़र आती हूं मैं

दिल में खुशी का एहसास,

तेरा और मेरा साथ

काफी है किसी की उम्र को,

थोड़ा लम्बा करने के लिए ।

- प्रीती सचान  








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