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मेरी परछाई
थोड़ा रुक कर बोली, तुझे ना हो कभी अकेलेपन का अहसास
कैसे तुझको छोङू अकेला, जब मै और तुम एक ही है
काया भले ही हो अलग - अलग पर वजूद तो एक ही है,
जब दुनिया छोड़ती है तेरा साथ, तब भी मै होती हूं तेरे साथ
जब अपने ही करते है खाक, तब भी मै होती हूं तेरे साथ
तू अपने मन की बात कहे ना कहे मुझे सब देती है सुनाई,
तेरी हंसी, तेरा दुख, तेरा दर्द सब देता है मुझे दिखाई,
तेरे उत्थान से पतन तक, बस मै ही तो होती हूं तेरे साथ
क्योंकि मै हूं तेरी परछाई, कैसे छोड़ दू तेरा साथ ।।
-- प्रीती सचान (Teacher)
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