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कविता: किताबे इश्क़

"किताबे इश्क़"
आज लिखती हूं दस्ताने किताबे इश्क़ की
नहीं इनसे पाक मोहब्बत किसी की
सच्चा और नेक इश्क़ है इनका
साथ देना काम है इनका
किताबों का इश्क़ कभी बेवफाई नहीं करता
हर मुश्कल में हाथ है थामे रखता
छोड़ो इंसानी इश्क़ का फलसफा
वक्त ज़रूरत काम आयेगा
इश्क़ किताबों का।।

- प्रीती सचान

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