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मुहोब्बत
उसने पूछा-
मुहोब्बत क्या है
मैंने कहा 'आग
और दिल?
'चूल्हा है
वो मुस्कराई और बोली-
तो क्या पकाते हो इस पर?
'रिश्ते और जज्बात'
ये चूल्हा जलता कैसे है?
'बातो से मुलाकातों से'
उसने शरारती लहजे में पूछा-
अच्छा तो मैं क्या हूं?
मैंने कहा- "तुम,
रोशनी हो और तपिश भी"
वो मुस्कराई और शांत हो गई।
उसने नहीं पूछा धुआं क्या है?
वो अब भी नहीं जानती,
मुहोब्बात क्या है ।
🖊️ अर्पित सचान
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