सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मेरे M.Sc के वो दिन

 मेरे प्यारे दोस्तों,  

मैं लगभग दो साल पहले (जुलाई 2019) को आया था मैं अकेला था, अनजाना था, शायद सभी  की यही दशा थी सभी ने मुझे अपनी जिंदगी में एक जगह दी और शायद मुझे कभी न भूलने वाली दोस्ती का एहसास कराया । मुझे इस सफर में आने वाली हरएक कठनाईयों को खुद से जोड़ा और मिल कर उन्हे समाप्त कराया ।

रिश्ते इतने गहरे हो गए कि जब मैं आखरी पेपर दे रहा था तो बड़ा ही भावुक था मन में बहुत से सवालात थे दुविधा थी घबरा रहा था और सोच रहा था मैं फिर अकेला हो गया शायद ही अब वो दिन आयेगे जब आप सब इतने करीब और साथ होगे 

 आपकी आने वाली परीक्षाओं के लिए और आपके आने वाले जीवन के लिए भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं👍🏻👍🏻🙂🙂 "मैं आपको और आपके साथ बिताए दिनों को हमेशा याद रखूंगा।"

To be continue....... 🖊️


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेहनत रंग लाएगी

. "मेहनत रंग लाएगी" कल है परीक्षा, घबराना क्या, जो सीखा है, वो भूलना क्या? मेहनत की जो ज्योत जलाई, अब उसकी रोशनी काम आयेगी, रात के अंधेरे से डरना नहीं, सवेरा बस आने को है, हर सवाल का हल छिपा है तुझमें,  बस अब खुद पर भरोसा करने को है, जो पढ़ा, जो समझा, सब याद रहेगा, तेरी मेहनत का हर रंग आबाद रहेगा, रातों की जगी जो मेहनत है तेरी, वो बस कल तुझे जीत दिलायेगी पूरी, बस विश्वास रख, मन को शान्त रख,  सफलता तेरे कदम चूमेगी ये याद रख । -  अर्पित सचान  "परीक्षा केवल जीवन का एक हिस्सा है, जिंदगी नहीं" अपना सर्वश्रेष्ठ देना जरूरी है, लेकिन डरना नहीं है मेहनत कभी जाया नहीं जाती, उसका असर जरूर दिखेगा अपने ऊपर भरोसा रखो, एक बात हमेशा याद रखो अगर मै नहीं कर पाया तो कोई नहीं कर पाएगा, मै श्रेष्ठ हूं ।

पहलगाम हमला: अब और नहीं! हिंदुत्व की पुकार

 पहलगाम में हुआ आतंकी हमला कोई पहली बार नहीं है। हर कुछ महीने में हम ऐसी ख़बरें सुनते हैं — काफिला हमला हुआ, तीर्थ यात्री निशाना बने, सैनिक शहीद हो गए। क्या हम इतने ही लाचार हैं? क्या ये देश सिर्फ मोमबत्तियाँ जलाने और शोक जताने तक सिमट गया है? लेकिन अब बहुत हो चुका। हिंदुत्व की सोच इस कायरता के सामने झुकने वाली नहीं है। यह विचारधारा कहती है — अगर कोई तुम्हारे घर में घुसकर तुम्हारी मां को गाली दे, तो क्या तुम सिर्फ शांति पाठ करोगे? नहीं! तुम उठोगे, लड़ेगे और उसे बाहर फेंकोगे। यही है हिंदुत्व — राष्ट्र रक्षा का संकल्प। यह हमला सिर्फ उन यात्रियों पर नहीं हुआ, यह हमला भारत की आत्मा पर हुआ है — उस आत्मा पर, जो सनातन है, जो काशी से लेकर कन्याकुमारी तक गूंजती है। क्या हमें अब भी सेक्युलरिज़्म के नशे में ही रहना है? क्या हर बार यह कह देना काफी है कि “आतंक का कोई धर्म नहीं होता”? लेकिन हम सब जानते हैं कि आतंक की जड़ें कहाँ हैं, और उसे संरक्षण कौन देता है। हिंदुत्व यह नहीं सिखाता कि आंख मूंद लो, यह सिखाता है — “सहनशीलता तब तक धर्म है, जब तक वह कायरता न बन जाए। लेकिन जब असुर धर्म, संस्कृति और...

बाल दिवस - 14 नवंबर 2024

  आज तारीख है 14/11/2024 , आज है बाल दिवस, बच्चों का दिन, मै भी हमेशा बच्चा  बन कर रहना चाहता हूँ, मुझे इस प्रकार जीवन जीने मे बड़ा ही आनंद आता है वैसे मेरे आनंद का विषय गणित भी है लेकिन मुझे गणित के आनंद के बाद इस तरीके का जीवन जीना पसंद है , इसमे कठिनाइयाँ बहुत होती लेकिन मै खुश हूँ उन्हे सुलझाने में, हाँ क्योंकि मै गणितज्ञ हूँ और मेरा काम है, समस्याओ का समाधान करना, चाहे वो जीवन की हो या गणित की, मेरे पास गणित के logics है , और वह समस्याओ के समाधान मे बहुत हेल्प करते है, मेरा हमेशा से मानना है जीवन को वैसे जियो जैसे आप चाहो न कि कोई दूसरा, खुद के अलावा कोई नहीं जान सकता आपको कैसे खुश रहना है | ''चलो न बच्चों की तरह जीवन जीते है, खुशियों को फिर से सीते है''  बात करते है हम बाल दिवस मानते क्यों है ? बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस है। नेहरू जी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें देश का भविष्य मानते थे। इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को विशेष मान्य...