. '' फिसल रही जिंदगी '' हाथ थामे चल रही जिंदगी, कदम दर कदम ढल रही जिंदगी । गजब का है ये सिलसिला, कश्मकश में जल रही जिंदगी । कुछ यादें छोड़ आई अतीत में, उलझनों में पल रही जिंदगी । इसे समझ नही पाया अब तलक, हर वक्त छल रही जिंदगी । साथ चलता है मुसीबतों का काफिला, न जाने क्यों खल रही जिंदगी । खामोश आज ईमान की आरजू, वो हाथ मल रही जिंदगी । मुठ्ठी से रेत की तरह, अब फिसल रही जिंदगी । - अर्पित सचान
I am Arpit Sachan, a resident of Pukhrayan, a city in the Kanpur Dehat district of Uttar Pradesh. I have done my Graduation from Bundelkhand University in science stream and I have also done Post-Graduation(2019-21) from V.S.S.D College (Kanpur University) in Mathematical Science. I like to write poems, articles which I have written on this blog.