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कविता : आज फिर से

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आज फिर से.....

एक जिंदगी खो दी आंखों के सामने 

आज फिर से.....

मौत को इतने करीब से देखा सामने

आज फिर से.....

जिंदगी को हारते देखा

आज फिर से.....

अपने को हमेशा के लिए दूर होते देखा

आज फिर से.....

अपने को खो दिया !!!

                                        -अर्पित सचान





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