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" इंतजार एक बरस का "
अब एक साल बाद मिलने का वादा किया है,
जैसे हर सांस को एक नया इरादा दिया है।
वो लम्हा जब अलविदा कहा था उसने,
हर शब्द में जैसे सागर बहा था उसने।
आंखों में उम्मीदें, दिल में हलचल थी,
उसकी मुस्कान में भी थोड़ी सी हलचल थी।
"एक साल बस..." उसने धीरे से कहा था,
जैसे तसल्ली का कोई मरहम लगा था।
हर दिन अब उस दिन का इंतज़ार है,
जिस दिन फिर से वो सामने यार है।
कैलेंडर की तारीख़ें अब मायने रखती हैं,
हर गुज़री सुबह उससे करीब ले चलती हैं।
कुछ खत लिखे हैं, भेजे नहीं जाते,
बस दिल में रखे हैं, पढ़े नहीं जाते।
हर मौसम में उसकी खुशबू ढूंढी है,
हर भीड़ में उसकी आहट सूनी है।
कभी चाँद से बात कर ली रातों में,
कभी नाम लिखा रेत की बातों में।
वो एक साल, अब उम्र सा लगने लगा है,
हर दिन जैसे थोड़ा कम होने लगा है।
बस एक वादा है, जो धड़कनों में बसा है,
वो मिलेगी फिर, यही तो हर दुआ में लिखा है।
• अर्पित •
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