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ए जिंदगी

. ए जिदंगी, आ जीना सीखा दू, ए जिंदगी, आ लोगो से बात करना सीखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे लोगो को हंसाना सीखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे बच्चो से खेलना दिखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे लोगो के जीना का तरीका सीखा दू, ए जिंदगी,  तू मत खेला कर लोगो के साथ, आ तुझे उसने मुहोब्बत करा दू ।                       - अर्पित सचान
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अमिताभ बच्चन की कलम से।

. गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चलता है...... बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को.......  अपनों का पता चलता है !  जिन्हें गुस्सा आता है वो लोग सच्चे होते हैं, मैंने झूठों को अक्सर  मुस्कुराते हुए देखा.....!! सीख रहा हूं  मैं भी इंसानों को पढने का हुनर,  सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है | ~ अमिताभ बच्चन 

कविता : फिसल रही जिंदगी

. '' फिसल रही जिंदगी '' हाथ थामे चल रही जिंदगी, कदम दर कदम ढल रही जिंदगी । गजब का है ये सिलसिला, कश्मकश में जल रही जिंदगी । कुछ यादें छोड़ आई अतीत में, उलझनों में पल रही जिंदगी । इसे समझ नही पाया अब तलक, हर वक्त छल रही जिंदगी । साथ चलता है मुसीबतों का काफिला, न जाने क्यों खल रही जिंदगी । खामोश आज ईमान की आरजू, वो हाथ मल रही जिंदगी । मुठ्ठी से रेत की तरह, अब फिसल रही जिंदगी ।                                                       - अर्पित सचान

कविता : मुस्कान

. 'मुस्कान' आ लिख दूं कुछ तेरे बारे में..........! मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती हैं, मुझे खुद के अल्फाजों में....! मैं जब मिलती हूं तुझसे, तेरे चेहरे की रौनक बड़ जाती है आंखों में शर्म के साथ, होठो पे नज़र आती हूं मैं दिल में खुशी का एहसास, तेरा और मेरा साथ काफी है किसी की उम्र को, थोड़ा लम्बा करने के लिए । - प्रीती सचान  

कविता : आज फिर से

. आज फिर से..... एक जिंदगी खो दी आंखों के सामने  आज फिर से..... मौत को इतने करीब से देखा सामने आज फिर से..... जिंदगी को हारते देखा आज फिर से..... अपने को हमेशा के लिए दूर होते देखा आज फिर से..... अपने को खो दिया !!!                                         -अर्पित सचान

Why 1729 is Special Number ?

. Why 1729 is Special Number ? 1729 is the Hardy Ramanujan Number. It is the smallest number which can be expressed as the sum of two different cubes in two different ways. 1729 is the sum of the cubes of 10 and 9 - a cube of 10 is 1000 and a cube of 9 is 729; adding the two numbers results in 1729. 1729 is also the sum of the cubes of 12 and 1- a cube of 12 is 1728 and a cube of 1 is 1; adding the two results in 1729 Such as -      1729 = 1000 + 729 = (10)³ + (9)³     1729 = 1728 + 1 = (12)³ + 1³ It is also incidentally product of three prime numbers, As-      1729 = 7 X 13 X 19

कविता : मेरी याद

. "मेरी याद" वो जो मेरी यादों में बसी है। ऐसा लगता है यही कहीं है।। दिखाई तो पड़ती है अक्सर मुझे। मगर लगता है ख्वाब तो नही है।। फिजाओं मे उसकी महक सी है। उसकी खुशबू हवाओं में घुली है।। पता नहीं कहीं गायब सी है ।।                                             - अर्पित सचान

कविता : 'कोई तो रंग भरी जीवन में'

. "कोई तो रंग भरी जीवन में" जीवन एक कला है, बिना रंग के, जीवन फीका सा है बिना रंग के, सूना सूना सा है कुछ, कुछ अनसुलझा सा है, बिना रंग के, डरा-डरा सा है कुछ, कुछ इच्छाओ से है भरा हुआ, कोई तो रंग भरो जीवन में ।                                        - अर्पित सचान 

Poem : Good Morning

. 'Good Morning' Every goodmorning brings, A new beginning, A new one, And a lot. We can start a new, Forgetting the past, To a new future, To make with the good. Good morning says, Stand up, And make a fresh start, See you the next morning, You will be one step ahead.                              - Arpit Sachan

मेरे M.Sc के वो दिन

  मेरे प्यारे दोस्तों ,   मैं लगभग दो साल पहले (जुलाई 2019) को आया था मैं अकेला था, अनजाना था, शायद सभी  की यही दशा थी सभी ने मुझे अपनी जिंदगी में एक जगह दी और शायद मुझे कभी न भूलने वाली दोस्ती का एहसास कराया । मुझे इस सफर में आने वाली हरएक कठनाईयों को खुद से जोड़ा और मिल कर उन्हे समाप्त कराया । रिश्ते इतने गहरे हो गए कि जब मैं आखरी पेपर दे रहा था तो बड़ा ही भावुक था मन में बहुत से सवालात थे दुविधा थी घबरा रहा था और सोच रहा था मैं फिर अकेला हो गया शायद ही अब वो दिन आयेगे जब आप सब इतने करीब और साथ होगे   आपकी आने वाली परीक्षाओं के लिए और आपके आने वाले जीवन के लिए भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं👍🏻👍🏻🙂🙂 "मैं आपको और आपके साथ बिताए दिनों को हमेशा याद रखूंगा।" To be continue....... 🖊️

कविता : उलझे रास्ते

. "उलझे रास्ते" चौराहे पर खड़े हुए है, मंजिल का कुछ पता नही हर तरफ सड़कें ही सड़कें, छोर का कुछ पता नही ? एक राह पर सपनें है, हम सबको बड़ा लुभाते है पर अकेले चलना होगा, ये कहकर घबड़वाते है ? एक राह सीधी सी है, सब उसपर है भाग रहे  भीड़तंत्र से ही अपनी, सारी उम्मीदें साध रहे ? एक राह पर अपने हैं, अनुभव का दम्भ दिखाते हैं खींच तानकर तुमको, उस पर चलाना चाहते हैं ? एक राह बुद्धि से परे है, उस पर कोई नही चले लेकिन कहीं तो जाती है, मंजिल तक पंहुचाती है ? - अर्पित सचान 

कविता : प्रिय!.....

. "प्रिय!...." प्रिय!……. लिखकर! नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा! कुछ जगह बीच मे छोड़ नीचे लिख दूँ सदा तुम्हारा!! लिखा बीच मे क्या? ये तुमको पढ़ना है! कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है! जो भी अर्थ निकलोगी तुम वो मुझको स्वीकार.... झुके नैन..... मौन अधर.....कोरा कागज़..... अर्थ सभी का प्यार!! -आशुतोष राणा    

Happy Teachers' Day

. " Happy  Teachers' day " Hello teachers and my dear friends. Just like every year, This year also we are celebrating teachers day. Every year the 5th of September is celebrated as Teachers' Day in India commemorating the birth anniversary of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan. As a Teacher, Vice President and second President of India Dr. RadhaKrishnan made an immense contribution to the country. On this special occasion, I wish to convey my best wishes and greetings to all the Teachers and to all those, who have helped me attain success in my academics. Students across the country celebrate this day to pay respect and thank their teachers. Teachers are the back bone of our society. They spear head change by shaping and building students' personality. As we all know that it is impossible to define 'teacher' as Teachers are not only limited to Teaching or guiding students in academics but also helping students to take the right path. They add value to our chara

कविता : सफर का हमसफर

. 🖋️ "सफर का हमसफर" वो साथ चले, जब तक रास्ता साफ था, उसने हाथ थामा जब तक मंजिल पास थी, यादें बहुत वादे बहुत, बहुत सी बातें थीं, सफ़र लम्बा पर साथ तुम्हारा छोटा था, हाथ छूटा तेरा पर साथ हमारा कायम था, दर्द में आंसू मेरी आंखों से बहा करते थे, खुशी में लब तेरे हंसा करते थे, कभी कम ना होने दिया एहसास तुम्हारा, दिल में चिराग़ जलाए रक्खा है आज भी, फिर हाथ को तू थमेगा मेरे, जब मंजिल पास होगी, फिर साथ होगा तेरा उस सफर में, जिसमें काफ़िला मेरे पीछे होगा, और अश्क तेरे, तेरे साथ होंगे, उस दिन तू अश्क बहाएगा मेरे साथ को, जिस दिन मै अपनी मंज़िल को पाऊंगी, और तू अकेला ही सफ़र का हमसफर बन जायेगा ।             -🖊️ प्रीती सचान

कविता : मैं और वो

🖋️ "मैं और वो"  दिलबर का एहसास अधूरा सा है  वो पास है फिर भी दूर है, ये उसकी खुशबू है या कोई इत्तर होश खो रहा हूं मै इस बेहोशी में भी होश सा है, चुप हूं मै है वो भी चुप पर यहां शब्दों का शोर सा है, बैठा हूं मैं है वो रही हस ये हसना मुझे सुकून सा है, देखती है वो मुझे यू आहे भर भर के  ये मंजर ये फिजा मानो राहत सा है, कहते है लोग ये इश्क नहीं आसान पर उसका होना ही मंजिल है, ठहराव है, हां उसे ही पता हु ख्वाबों ख्यालों में वो कुछ कहती है उसका सुनना जन्नत सा है ।           - 🖊️ अर्पित सचान Follow on Facebook

कोरोना की देश में भयावहता और निष्क्रिय सरकार और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

भारत में आज कोरोना और उसके कारण हुई परेशानियों से देश पूरी तरह परिचित है, जहां एक तरफ लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। वहीं दूसरी ओर सरकार इन परेशानियों को लेकर परेशान है। मैं यह कोरोना की आई दूसरी लहर के लिए किसी हद तक हमारे देश की सरकार को ज़िम्मेदार मानता हूं | कहीं ना कहीं सरकार से इसको समझने एवं अपनी सत्ता लोलुपता की चाह में गलतियां हुईं हैं जिसका खामियाज़ा आज पूरा देश भुगत रहा है। अगर सरकार ने समय पर कोरोना के खिलाफ अपने सख्त कदम उठाए होते, तो आज हमारा देश इसके प्रकोप से सुरक्षित होता, लेकिन राजनीति और अपना भला देखने वालों ने तो देश के लोगों को ही भुला दिया शायद वे भूल गए कि देश के आम जन मानस से ही सरकार का निर्माण होता है। कोरोना की भयावहता और इन विपरीत परिस्थितियों में, जो हमारे देश की सरकार का सबसे खराब निर्णय रहा वो है अपनी सत्ता की भूख के लिए उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में चुनाव कराना । शायद ही आपको कोई अवगत कराए मैं खुद उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ज़िले के एक शहर पुखरायां का निवासी हूं और मैंने बखूबी यह अनुभव किया है कि इन चुनावों ने देश में कोरोना की भयावहता

कविता : कोरोना की भयावहता

. 🖊️   "कोरोना की भयावहता" क्षति बतलाने को मौतों का आंकड़ा गिना रहे मगर यह बात, तो सिर्फ वही जानता जो अपनो की लाशों का बोझ उठा रहा कहीं दर्द बताने को कोई रहा नहीं कोई दर्द लिए है घूम रहा कुछ तो है इतने डरे-डरे कि दर्द बांटने को तैयार नहीं मीडिया अपने आंकड़े सुना रही सरकार अपने आंकड़े बता रही क्या है क्षति? कितनी है क्षति? कोई जानता ही नहीं ।                              - 🖊️ अर्पित सचान 

Quick Byte: Can Double Masking Affect Our Oxygen Level In The Body?

  Right from the beginning of the second wave in the country, many experts and governments have been requesting people to leave the house by putting on double masks and if they are sitting close to their relatives in the house, then use double masks. The second wave of corona infection in the country is infecting people at its ravishing speed. Even today, more than 4 lakh new patients of corona infection have appeared across the country. All the weapon weapons in defense of the corona are being told face mask only. Right from the beginning of the second wave in the country, many experts and governments have been requesting people to leave the house by putting on double masks and if they are sitting close to their relatives in the house, then use double masks. In odd circumstances, when experts are. advising to apply double mask, a message is becoming viral on social media, claiming that for a long time, the amount of carbon dioxide in the body can be increased and oxygen can be increa

कविता: मुहोब्बत

. मुहोब्बत उसने पूछा- मुहोब्बत क्या है मैंने कहा 'आग  और दिल? 'चूल्हा है वो मुस्कराई और बोली- तो क्या पकाते हो इस पर? 'रिश्ते और जज्बात' ये चूल्हा जलता कैसे है? 'बातो से मुलाकातों से' उसने शरारती लहजे में पूछा- अच्छा तो मैं क्या हूं? मैंने कहा- "तुम, रोशनी हो और तपिश भी" वो मुस्कराई और शांत हो गई। उसने नहीं पूछा धुआं क्या है? वो अब भी नहीं जानती, मुहोब्बात क्या है । 🖊️ अर्पित सचान

कविता: नारी

.  'नारी' अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, रचती तू इतिहास, भविष्य भी है, ईश्वर की अनसुलझी पहेली है तू,  अम्बर सा विशाल आंचल है तेरा,  धरती सी सहनशील है तू, तपती धूप में ठंडी हवा का छोका है, सर्द मौसम में भीनी सी गर्माहट का एहसास है तू, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, तेरे अन्दर श्रजन की शक्ति, तेरे अन्दर ही पतन है, दुर्गा, काली तुझमें है समाई, समय-समय पर तुझमे दी है दिखाई, हर मुश्किल में इनकी ही शक्ति काम तेरे है आई, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, बसती तुझमें ब्रम्हांड की शक्ति है, जिसका न कोई आदि न अंत है, आकार में बंधी निराकार शक्ति है तू, आजाद कर खुद को दुनिया के झूठे बंधनों से, पंख फैला भर ऊंची उड़ान तू, अब तो पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती क्यूं??? - प्रीती सचान (प्रकृति)   

Remembering India’s Greatest Mathematical Prodigy- Srinivasa Iyengar Ramanujan

Srinivasa Ramanujan ( Great Indian Mathematician)  December 22 is a glorious day for India and Indians.  This day is celebrated as National Mathematics Day i.e. National Mathematics Day in the country.  Let's know interesting things related to Srinivasa Ramanujan's life ... Who was Ramanujan and why is National Mathematics Day celebrated?  It was on this date in 1887 that the great Indian mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan was born.  To honor his life achievements, the Government of India declared 22 December i.e. his birth anniversary as National Mathematics Day .  It was announced by the then Prime Minister Manmohan Singh during the inauguration ceremony of the 125th anniversary of the birth of Srinivasa Ramanujan at Madras University on 26 February 2012.  The great mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan was born on December 22, 1887 in a Brahmin family in Erode village , Coimbatore . Ramanujan's father's name was Srinivasa Iyengar . Ramanujan is cou

कविता: मेरी बहना

' "मेरी बहना"  सुंदर सा चेहरा, इंसानियत की मूरत है वो, भोली और प्यारी, बहुत ही खूसूरत है वो, कभी दोस्त, तो कभी मां होती है वो, हर किरदार में, मेरे साथ होती है वो, हमारी कामयाबी पर होती है हमसे भी ज्यादा खुश, नाकामी के वक्त समेट लेती है हमारे सारे दुख, कितनी ही मेरी गलतियों को नकारा है उसने, अपने दुखो को छिपाकर हंसाया है उसने, सभी रिश्तों को शिद्दत से निभाती है वो, लेकिन हमारे रिश्ते को सबसे खास बनाती है वो, कोई और नहीं वो प्यारी सी, मेरी बहना है।। 🖊️ अर्पित सचान this poem dedicated to my dearest elder sister(Preeti Sachan). Thankyou

कविता: लड़की का मोल

लड़की का मोल अजनबी से रिश्ता जोड़ अपनों से नाता तोड़, एक नए घर और एक नई दुनिया का रुख मोड़, एक का बन, सबको अपना बना लेती है , उनकी खुशी बन अपना गम भुला देती है, ऐसे ही बिखरे पन्नों को समेट कर किताब बनाती है, एक घर को स्वर्ग और एक को जन्नत बनाती है वो, फिर भी जाने क्यों ना समझे लोग लड़की का मोल, धरती पर ना जाने कितने किरदारों को निभाती है, बिना किसी स्वार्थ के गैरों को अपना बनाती है, हर लड़की अपने जन्म को एक आदर्श बनाती है || - Preeti Sachan  

कविता: हिंदी

'हिंदी'  हिंद देश का मान है हिंदी हिंद का अभिमान है हिंदी हिंदी में होती है बिंदी एक सुहागन की पहचान है बिंदी दुनिया के माथे का सिंगार है हिंदी हिंद देश की पहचान है हिंदी - प्रीती सचान

कविता: हो भला

. ' 'हो भला'' हो भला, जो समझे मिट्टी, मिट्टी में ही तो स्वर्ण छिपे । हो भला, जो कहता कीचड़, कीचड़ में ही तो कमल खिले । तू चल निस्तर कर अथक परिश्रम, तप तप कर तू बन कोयला, न कर परवाह किसी की, कोयला ही तो हीरा बने । लाख बुराइयां होगी तुझमें, एक हुनर भी जरूर होगा, तू तलाश खुद को ही खुद में, एक हुनर  दिखेगा तुझमे । हो भला, जो तुझे समझे मिट्टी मिट्टी से ही तो घड़ा बने, भर खुद में शीतल जल, दूसरों की तो प्यास बुझे । हो भला, जो समझे मिट्टी मिट्टी में ही तो स्वर्ण छिपे । । - अर्पित सचान

कविता: किताबे इश्क़

"किताबे इश्क़" आज लिखती हूं दस्ताने किताबे इश्क़ की नहीं इनसे पाक मोहब्बत किसी की सच्चा और नेक इश्क़ है इनका साथ देना काम है इनका किताबों का इश्क़ कभी बेवफाई नहीं करता हर मुश्कल में हाथ है थामे रखता छोड़ो इंसानी इश्क़ का फलसफा वक्त ज़रूरत काम आयेगा इश्क़ किताबों का।। - प्रीती सचान

कविता: अफसोस नहीं

" अफसोस नहीं " ऐ मेरी मोहब्बत मै तेरे दूर जाने का अफसोस नहीं करती   तू अकेली नहीं गई  तेरे साथ मेरी रूह भी गई है ज़िन्दगी की उलझनों से कभी फुरसत मिले तो बीते हुए पलों में उनको भी तलाश लेना  जिन्होंने तुमसे नहीं तुम्हारी रूह से मोहब्बत की । कब्र में तो जिस्म दफ्फन होते हैं रूह- ए- मोहब्बत तो आज़ाद होती है कभी बागो में खिले फूलों पर मंडराती तितली की तरह कभी हवाओं में घुली सोंधी खुशबू की तरह नदियों में उफनाते जल की तरह सूरज की सुनहरी धूप की तरह जिसे महसूस किया जा सकता है,पाया नहीं जीवन में कभी अकेलापन लगे तो खुद को कभी अकेला मत समझना जब मेरी रूह जिस्म से आज़ाद हो उस वक्त भी तुम्हारे साथ होगी इसलिए मै तेरे दूर जाने का अफसोस नहीं करती।। -  प्रीती सचान

Mathematics - Why & why?

Why we study mathematics ? In many disciplines, the history of the twentieth century tells of the introduction of more and more mathematical and statistical techniques. Mathematics has been established as a universal ingredient in the understanding of the world, and is the language used in conveying this understanding. Now, in the twenty-first century, higher mathematics and statistics are not just tools for physical scientists and engineers, but also of crucial importance in business, economics, social sciences, medicine, and many other fields. Many mathematicians delight in the aesthetic appeal of their subject; however, it is ultimately the application of mathematics that makes it a critical element in modern civilization.  Statistics is a subfield of the mathematical sciences. Its applications to new technologies and big data are so numerous that it warrants its own major; however, to study statistics is essentially to study mathematics. When we refer to "mathematics&qu

कविता: सीख लिया हमने

✒️ "सीख लिया हमने" अब संभलना सीख लिया है हमने, गिर कर उठना सीख लिया है हमने, बचपन में चलना सिखाया था मा बाप ने, आज खुद से चलना सीख लिया है हमने, आज खुद संभलकर लोगो को,  संभालना सीख लिया है हमने, अब किसी  सहारे के बिना भी, चलना सीख लिया है हमने, रोते को हसाना सीख लिया है हमने, छोटे पंखों के परिंदो को भी,  उड़ना सिखा दिया है हमने, अब गिर कर संभलना सीख लिया है हमने ।   - प्रीती सचान   

कविता: मुसाफिर

. "मुसाफिर" जिंदगी एक खोज रही मै मुसाफिर ही रही इस घर से उस घर तक चली नाम को तरसती रही निगाहें मुझ पर ही टिकी मेरे लिए ना घड़ी बनी मै मुसाफिर ही रही आहट मेरी पहचाने न कोई आरज़ू फर्ज ने है कुचली अब बगावत पर हूं अडी रूह भी है सहम रही  मै मुसाफिर ही रही ।                       -   अर्पित सचान