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बाल दिवस - 14 नवंबर 2024

  आज तारीख है 14/11/2024 , आज है बाल दिवस, बच्चों का दिन, मै भी हमेशा बच्चा  बन कर रहना चाहता हूँ, मुझे इस प्रकार जीवन जीने मे बड़ा ही आनंद आता है वैसे मेरे आनंद का विषय गणित भी है लेकिन मुझे गणित के आनंद के बाद इस तरीके का जीवन जीना पसंद है , इसमे कठिनाइयाँ बहुत होती लेकिन मै खुश हूँ उन्हे सुलझाने में, हाँ क्योंकि मै गणितज्ञ हूँ और मेरा काम है, समस्याओ का समाधान करना, चाहे वो जीवन की हो या गणित की, मेरे पास गणित के logics है , और वह समस्याओ के समाधान मे बहुत हेल्प करते है, मेरा हमेशा से मानना है जीवन को वैसे जियो जैसे आप चाहो न कि कोई दूसरा, खुद के अलावा कोई नहीं जान सकता आपको कैसे खुश रहना है | ''चलो न बच्चों की तरह जीवन जीते है, खुशियों को फिर से सीते है''  बात करते है हम बाल दिवस मानते क्यों है ? बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस है। नेहरू जी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें देश का भविष्य मानते थे। इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया ताकि बच्चों को विशेष मान्य
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मैं और मेरी खामोशी - 12/11/2024

आज तारीख है 12/11/2024 दिन है मंगलवार, मै आज दुखी हूँ और खामोश भी,  इसका कारण मै खुद या मेरा यह भी कहना ठीक होगा मेरा स्वभाव, मै किसी से कुछ कह नहीं सकता इसलिए लिख रहा हूँ  क्योंकि किसी से कहने से अच्छा है खुद को शांत रखना, आप लोग यह सोच रहे होंगे कि मै दुखी क्यों हूँ ?  जैसा कि मैंने कल भी इन बातों का हल्का जिक्र किया था  मै आज सुबह 5 बजे उठा और जिम के लिए चल गया दोस्तों के साथ 3 घंटे जिम की फिर मै घर आया मै आज लाइब्रेरी नहीं गया जैसा कि मैंने बताया मै थोड़ा आज परेशान हूँ | मेरे दुख का कारण भी मै ही हूँ, मैंने जैसा की ऊपर लिखा था मेरा स्वभाव, पता नहीं मै कैसा हूँ  लेकिन हाँ किसी की बातों का बहुत ही जल्दी विस्वास कर लेता हूँ, शायद इसलिए क्योंकि मै भी कभी झूठ नहीं बोलता इसलिए मुझे सब सच्चे ही दिखते है या कुछ और भी ........ पता नहीं, मै इन सब पर इतना नहीं सोच सकता ........ जिसने भी जो कहा मैंने वह मान लिया | मै अपने बारे मे भी बात दूँ, मैंने गणित मे परास्नातक (MSc in Mathematics) किया है और आगे भी कार्यरत हूँ गणित को बढ़ाने मे और इसे सीखने में और दूसरों को सिखाने में कि गणित को कैसे सीखते

ए जिंदगी

. ए जिदंगी, आ जीना सीखा दू, ए जिंदगी, आ लोगो से बात करना सीखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे लोगो को हंसाना सीखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे बच्चो से खेलना दिखा दू, ए जिंदगी, आ तुझे लोगो के जीना का तरीका सीखा दू, ए जिंदगी,  तू मत खेला कर लोगो के साथ, आ तुझे उसने मुहोब्बत करा दू ।                       - अर्पित सचान

अमिताभ बच्चन की कलम से।

. गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चलता है...... बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को.......  अपनों का पता चलता है !  जिन्हें गुस्सा आता है वो लोग सच्चे होते हैं, मैंने झूठों को अक्सर  मुस्कुराते हुए देखा.....!! सीख रहा हूं  मैं भी इंसानों को पढने का हुनर,  सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है | ~ अमिताभ बच्चन 

कविता : फिसल रही जिंदगी

. '' फिसल रही जिंदगी '' हाथ थामे चल रही जिंदगी, कदम दर कदम ढल रही जिंदगी । गजब का है ये सिलसिला, कश्मकश में जल रही जिंदगी । कुछ यादें छोड़ आई अतीत में, उलझनों में पल रही जिंदगी । इसे समझ नही पाया अब तलक, हर वक्त छल रही जिंदगी । साथ चलता है मुसीबतों का काफिला, न जाने क्यों खल रही जिंदगी । खामोश आज ईमान की आरजू, वो हाथ मल रही जिंदगी । मुठ्ठी से रेत की तरह, अब फिसल रही जिंदगी ।                                                       - अर्पित सचान

कविता : मुस्कान

. 'मुस्कान' आ लिख दूं कुछ तेरे बारे में..........! मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती हैं, मुझे खुद के अल्फाजों में....! मैं जब मिलती हूं तुझसे, तेरे चेहरे की रौनक बड़ जाती है आंखों में शर्म के साथ, होठो पे नज़र आती हूं मैं दिल में खुशी का एहसास, तेरा और मेरा साथ काफी है किसी की उम्र को, थोड़ा लम्बा करने के लिए । - प्रीती सचान  

कविता : आज फिर से

. आज फिर से..... एक जिंदगी खो दी आंखों के सामने  आज फिर से..... मौत को इतने करीब से देखा सामने आज फिर से..... जिंदगी को हारते देखा आज फिर से..... अपने को हमेशा के लिए दूर होते देखा आज फिर से..... अपने को खो दिया !!!                                         -अर्पित सचान