आज तारीख है 12/11/2024 दिन है मंगलवार, मै आज दुखी हूँ और खामोश भी, इसका कारण मै खुद या मेरा यह भी कहना ठीक होगा मेरा स्वभाव, मै किसी से कुछ कह नहीं सकता इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि किसी से कहने से अच्छा है खुद को शांत रखना, आप लोग यह सोच रहे होंगे कि मै दुखी क्यों हूँ ? जैसा कि मैंने कल भी इन बातों का हल्का जिक्र किया था
मै आज सुबह 5 बजे उठा और जिम के लिए चल गया दोस्तों के साथ 3 घंटे जिम की फिर मै घर आया मै आज लाइब्रेरी नहीं गया जैसा कि मैंने बताया मै थोड़ा आज परेशान हूँ |
मेरे दुख का कारण भी मै ही हूँ, मैंने जैसा की ऊपर लिखा था मेरा स्वभाव, पता नहीं मै कैसा हूँ लेकिन हाँ किसी की बातों का बहुत ही जल्दी विस्वास कर लेता हूँ, शायद इसलिए क्योंकि मै भी कभी झूठ नहीं बोलता इसलिए मुझे सब सच्चे ही दिखते है या कुछ और भी ........ पता नहीं, मै इन सब पर इतना नहीं सोच सकता ........ जिसने भी जो कहा मैंने वह मान लिया |
मै अपने बारे मे भी बात दूँ, मैंने गणित मे परास्नातक (MSc in Mathematics) किया है और आगे भी कार्यरत हूँ गणित को बढ़ाने मे और इसे सीखने में और दूसरों को सिखाने में कि गणित को कैसे सीखते है ........... इस बात को यहीं छोड़ते है क्योंकि मेरे आनंद का कारण भी गणित है यह मै इसलिए भी बात रहा हूँ क्योंकि आज का मुद्दा भी यही हमारे आनन्द अर्थात गणित से संबंधित है |
बात कुछ यूं है कि मैंने लगभग आज से 6 मास (6 month) पहले पढ़ाना शुरू किया कारण था ( 6 मास पहले ब्लॉग मे बात चुका हूँ ) मै घर पर था अपने गणित के काम मे व्यस्त था, मेरा पढ़ाने का कारण भी एक ही था चलो जब तक हूँ घर में गणित ही सिखा देता हूँ मेरा उद्देश्य कभी यह नहीं रहा की मै पैसे की सिखाऊ गणित को सिखाते हुए, शायद मुझे अभी पैसे की इतनी जरूरत नहीं थी | इस लिए मैंने एक पड़ोस की लड़की (रोज के ब्लॉग मे जिक्र है) को पढ़ना शुरू किया, मेरे पापा भी एक अध्यापक है जो कक्षा 8 तक गणित पढ़ाते है, हमारे पिता जी ने उसे बचपन से पढ़ाया था मै उसे बचपन से जनता भी था इसलिए मेरा लगाव था उसके प्रति, मैंने सोचा जब तक घर में हूँ तब तक उसे कुछ गणित के बारे मे जानकारी दे दूंगा कुछ सीख लेगी तो शायद याद करेगी कभी इससे ज्यादा कुछ नहीं क्योंकि उसका जीवन अलग है मेरा अलग , इसी कारण से मैंने पढ़ना शुरू किया और मेरा पढ़ना मेरी गलती बन जाएगी मुझे नहीं पता मेरी गलती है किसी और की, मेरा मानना है मैंने अगर किसी और को दोष दिया तो मै भी उसके जैसा हुआ फिर फरक ही क्या मुझमे और उसमे शायद मेरी ही गलती रही होगी, लेकिन मैंने यह मैंने कभी नहीं सोचा था, की कभी इन सब उलझनों मे पड़ूँगा लेकिन अच्छा है जीवन का कर दिन सिखाता और मै सीख रहा हु खुश हु मै सीख रहा हु .......
जब मैंने पढ़ाना शुरू किया तब मै बहुत काम बोलता था मेरा काम था गणित को सिखाना यही मेरा काम था , मै किसी से भी दूर रहना पसंद करता था क्योंकि आज का समाज ठीक नहीं है, लेकिन उसका भी बचपन से लगाव होने के कारण भैया - भैया किया करती थी, मुझे अच्छा लगता था शायद इसलिए क्योंकि मेरी बहन नहीं है मैंने छोटी बहन की तरह मानने लगा, यह थोड़ा गणित मे कमजोर थी इसका मानना था की मै आगे गणित नहीं लूँगी, मैंने इसे गणित में दिलचस्पी (Intrest) दिलाया हा क्योंकि किसी भी चीज को सीखने के लिए उससे प्यार होना बहुत जरूरी है मैने किया, पता नहीं अब मै ईमानदारी से तो नहीं कह सकता उसे गणित मे दिलचस्पी है या नहीं लेकिन मुझे पहले लगता था की वो सीख रही है , शायद नहीं या हाँ पता नहीं ............
कुछ और भी बच्चे आए पढ़ने लेकिन मैंने देखा की ये नहीं सीख पा रही क्योंकि ये थोड़ा कमजोर थी गणित मे, इसलिए मैंने इसे अकेले पढ़ाने का निर्णय लिया क्योंकि मै बस इसे सीखना चाहता था , इसलिए मुझे पैसे से कोई मतलब नहीं था, मैंने कई बच्चों को मना भी कर दिया पढ़ाने से, छोड़ो इन सब को , मेरे आज के दुख का कारण भी वही है, मैंने उसे की बार माफ किया मैंने सोचा छोटी बच्ची है बहन जैसे सीख जाएगी, आप लोग सोच रहे होंगे की मै किन कारणों से दुखी हूँ इतना लिखा लेकिन इसका जिक्र तक नहीं किया चलो बताता हूँ, अभी कुछ दिनों पहले ही उसके पेपर समाप्त हुए थे मैंने बहुत ही ईमानदारी से पढ़ाया था लेकिन उसका गणित का पेपर अच्छा नहीं गया, वो दुखी थी , मैंने उसे बुलाया और समझाया एसा क्यों हुआ लेकिन उसने एक झटके मे मेरे ऊपर दोष लगा दिया की आपके यहाँ नहीं पढ़ती तो ठीक था वहाँ अब तक सब समाप्त हो चुका होता लें और भी बहुत कुछ ......... , मैंने सोच कोई बात नहीं छोटी बच्ची है बोल लिया भैया - भैया करती है मैंने इस बात को भूल दिया उसी के 2 दिन बाद दिवाली थी मेरे पड़ोस मे एक लड़का रहता है, बिट्टी ने उस लड़के से बात की होगी या नहीं पता नहीं उसने मेरे बारे मे बहुत कुछ बात दिया और शायद कुछ उलट सीधा भी मै उन बातों का जिक्र तो नहीं करूंगा , बिट्टी ने भी बहुत कुछ बताया या नहीं पता नहीं, बात ये है की एक बार उसने हमसे कहा की भईया आप कुछ खिलाते नहीं हो मैंने कहा कल खिला दूंगा मैंने उसे शाम मे बुलाया कहा चलो खिला देता हु मेरे लिए वो छोटी बहन जैसी थी इसलिए मैरे लिए सामान्य (normal) था ये सब वो नहीं गई मैंने उसकी मम्मी के सामने फोन किया था नहीं गई कोई बात नहीं | ये बात मुझे बाद मे पता चली की बिट्टी ने उन भैया से कहा होगा ये सब और भी बहुत कुछ जैसा की आज का समाज है उसने वैसा ही मतलब निकाल लिया या बिट्टी ने सोच या उसके घर वालों ने पता नहीं, मै उसे दिन मे 4-5 बार मेसेज कर देता था व्हाट्सप्प और snapchat पर मुझे लगा था उसके घर वालों को हम पर भरोश है इसलिए मैंने कभी गलत तरीके से सोच ही नहीं, कि कोई गलत भी सोच सकता है, ये सब बाते बाद मे खुलती है दिवाली के समय जैसा की मैंने बताया जब मुझे उस लड़के ने बताया की बिट्टी ये सब बता रही थी हाँ या न पता नहीं, उस लड़के से सही कहा हमसे या गलत यह भी पता, उसकी इतनी गलती है की उसे हमे नहीं बताना था (मै पिछले ब्लॉग मे यह बात बात कर चुका हु ) मुझे खराब लगा मैने फिर से सोच चलो बिट्टी है समझा दूंगा , मैंने उसे बोल रखा था कि झूठ मत बोलना कभी हमसे बहुत विस्वास करते है तुम पर , जब मैंने उससे पूछा की बिट्टी तुमने उससे कुछ कहा था वो झूठ बोल गई की नहीं कहा था मै फिर सोच कोई बात नहीं डर गई होगी , मैंने समझाया की मेरी बात किसी से न किया करो मै कुछ गलत कहू तो तुम अपने घर मे बताओ वो उसे रोज सब बताती रही या शायद नहीं और वो लड़का मुझे रोज सब बताता रहा मैंने की बार मना किया की ये सब हमे नहीं बताया करो बूट पता नहीं क्या था उसके मन मे, और हमे इन सब से मतलब भी नहीं मेरा बस यही मानना है की मेरी बिट्टी हमसे पढ़ रही है तो इस समाज के बराबर खड़ी हो किसी से पीछे न रहे, मुझे पता है वो कहा गलती करती है कब झूठ बोलती है क्योंकि मै उसे अच्छे से समझता हूँ क्योंकि वो बहुत ही अच्छी है , जैसा की मैंने रोज के ब्लॉग ( पिछले ब्लॉग ) मे उसका जिक्र किया है उसके बारे मे क्योंकि वो मेरे दिनचर्या का एक छोटा सा हिस्सा है,
वो मुझे अपनी हर बात बताती है स्कूल की हो या कोई और भी हो सच बोलती है हमसे, मैंने इन सब बातों का अपने पिछले ब्लॉग मे जिक्र भी किया है अच्छा लगता है अपना मानती है, मुझे इससे ज्यादा चाहिए भी नहीं कुछ, लेकिन अभी वो जा चुकी है मेरे से पढ़ना छोड़ कर ,,......... बस इसी लिए चिंतित हूँ
थोड़ा बिट्टी के बारे मे बात करू तो वो बहुत सरल है नहीं समझती लोगों को और न ही उनकी बातों को , कोई उससे थोड़ा सा मीठा बोल दे उसको लगता है वो उसका अपना है, शायद यह इसलिए है क्योंकि वो बहुत ही अच्छे दिल की है बस इसलिए वो मुझे पसंद है |
जैसा भी हो मुझे उसकी चिंता इसलिए है क्योंकि वो बहुत सरल है, इसी लिए मै परेशान भी हूँ कि कहीं उसके नंबर न कम आ जाए और उसका भविष्य खराब हो जाए .......... मुझे किसी से वैसे कोई मतलब नहीं था और न है बस इसके लिए परेशान हूँ क्योंकि थोड़ा अपना सी लगती है,
शायद तुम मेरी इन बातों को कभी पढ़ो बेटा या नहीं पता नहीं लेकिन , तब शायद तुमको लगे की नहीं भैया मेरे थे और सही थे ..........
अचानक से फिर से एक घटना हुई वो मुझसे पढ़ने आई, मुझे यह बात पता थी वो मेरे अलावा किसी और से नहीं पढ़ेगी और यही हुआ, मुझे खुशी है मै अब खुश हूँ | मम्मी उसकी कही और ट्यूशन की बात की होगी लेकिन उसने मना कर दिया मुझे पता था वो हमसे ही पढ़ेगी सिर्फ |
आज का दिन भी जाते जाते अच्छा गया मुझे दोस्त के यहाँ खाटू श्याम के जन्म दिवस पर जाना था मै वहाँ गया 2-4 दोस्त और थे थोड़ा मस्ती की खाया पिया और घर आया फिर वही रोज का समय चालू हो गया, मेरा गणित मे काम करने सिलसिला अभी मै इस पंक्ति के साथ अपने काम पर लगता हु मिलता हु अगले कल के दिन के साथ ज्यादा नहीं है लिखने को क्योंकि मेरा दिल आज थोड़ा खामोश था | मै आज इस ब्लॉग को अपने अर्पित सचान वाली ब्लॉग साइट पर पोस्ट कर रहा हु क्योंकि मै नहीं चाहता मुझे कोई पढे |
धन्यबाद |
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