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कविता: मुहोब्बत

. मुहोब्बत उसने पूछा- मुहोब्बत क्या है मैंने कहा 'आग  और दिल? 'चूल्हा है वो मुस्कराई और बोली- तो क्या पकाते हो इस पर? 'रिश्ते और जज्बात' ये चूल्हा जलता कैसे है? 'बातो से मुलाकातों से' उसने शरारती लहजे में पूछा- अच्छा तो मैं क्या हूं? मैंने कहा- "तुम, रोशनी हो और तपिश भी" वो मुस्कराई और शांत हो गई। उसने नहीं पूछा धुआं क्या है? वो अब भी नहीं जानती, मुहोब्बात क्या है । 🖊️ अर्पित सचान

कविता: नारी

.  'नारी' अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, रचती तू इतिहास, भविष्य भी है, ईश्वर की अनसुलझी पहेली है तू,  अम्बर सा विशाल आंचल है तेरा,  धरती सी सहनशील है तू, तपती धूप में ठंडी हवा का छोका है, सर्द मौसम में भीनी सी गर्माहट का एहसास है तू, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, तेरे अन्दर श्रजन की शक्ति, तेरे अन्दर ही पतन है, दुर्गा, काली तुझमें है समाई, समय-समय पर तुझमे दी है दिखाई, हर मुश्किल में इनकी ही शक्ति काम तेरे है आई, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, बसती तुझमें ब्रम्हांड की शक्ति है, जिसका न कोई आदि न अंत है, आकार में बंधी निराकार शक्ति है तू, आजाद कर खुद को दुनिया के झूठे बंधनों से, पंख फैला भर ऊंची उड़ान तू, अब तो पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती क्यूं??? - प्रीती सचान (प्रकृति)   

Remembering India’s Greatest Mathematical Prodigy- Srinivasa Iyengar Ramanujan

Srinivasa Ramanujan ( Great Indian Mathematician)  December 22 is a glorious day for India and Indians.  This day is celebrated as National Mathematics Day i.e. National Mathematics Day in the country.  Let's know interesting things related to Srinivasa Ramanujan's life ... Who was Ramanujan and why is National Mathematics Day celebrated?  It was on this date in 1887 that the great Indian mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan was born.  To honor his life achievements, the Government of India declared 22 December i.e. his birth anniversary as National Mathematics Day .  It was announced by the then Prime Minister Manmohan Singh during the inauguration ceremony of the 125th anniversary of the birth of Srinivasa Ramanujan at Madras University on 26 February 2012.  The great mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan was born on December 22, 1887 in a Brahmin family in Erode village , Coimbatore . Ramanujan's father's name was Srinivasa Iyengar . Ramanujan is cou

कविता: मेरी बहना

' "मेरी बहना"  सुंदर सा चेहरा, इंसानियत की मूरत है वो, भोली और प्यारी, बहुत ही खूसूरत है वो, कभी दोस्त, तो कभी मां होती है वो, हर किरदार में, मेरे साथ होती है वो, हमारी कामयाबी पर होती है हमसे भी ज्यादा खुश, नाकामी के वक्त समेट लेती है हमारे सारे दुख, कितनी ही मेरी गलतियों को नकारा है उसने, अपने दुखो को छिपाकर हंसाया है उसने, सभी रिश्तों को शिद्दत से निभाती है वो, लेकिन हमारे रिश्ते को सबसे खास बनाती है वो, कोई और नहीं वो प्यारी सी, मेरी बहना है।। 🖊️ अर्पित सचान this poem dedicated to my dearest elder sister(Preeti Sachan). Thankyou

कविता: लड़की का मोल

लड़की का मोल अजनबी से रिश्ता जोड़ अपनों से नाता तोड़, एक नए घर और एक नई दुनिया का रुख मोड़, एक का बन, सबको अपना बना लेती है , उनकी खुशी बन अपना गम भुला देती है, ऐसे ही बिखरे पन्नों को समेट कर किताब बनाती है, एक घर को स्वर्ग और एक को जन्नत बनाती है वो, फिर भी जाने क्यों ना समझे लोग लड़की का मोल, धरती पर ना जाने कितने किरदारों को निभाती है, बिना किसी स्वार्थ के गैरों को अपना बनाती है, हर लड़की अपने जन्म को एक आदर्श बनाती है || - Preeti Sachan  

कविता: हिंदी

'हिंदी'  हिंद देश का मान है हिंदी हिंद का अभिमान है हिंदी हिंदी में होती है बिंदी एक सुहागन की पहचान है बिंदी दुनिया के माथे का सिंगार है हिंदी हिंद देश की पहचान है हिंदी - प्रीती सचान

कविता: हो भला

. ' 'हो भला'' हो भला, जो समझे मिट्टी, मिट्टी में ही तो स्वर्ण छिपे । हो भला, जो कहता कीचड़, कीचड़ में ही तो कमल खिले । तू चल निस्तर कर अथक परिश्रम, तप तप कर तू बन कोयला, न कर परवाह किसी की, कोयला ही तो हीरा बने । लाख बुराइयां होगी तुझमें, एक हुनर भी जरूर होगा, तू तलाश खुद को ही खुद में, एक हुनर  दिखेगा तुझमे । हो भला, जो तुझे समझे मिट्टी मिट्टी से ही तो घड़ा बने, भर खुद में शीतल जल, दूसरों की तो प्यास बुझे । हो भला, जो समझे मिट्टी मिट्टी में ही तो स्वर्ण छिपे । । - अर्पित सचान

कविता: किताबे इश्क़

"किताबे इश्क़" आज लिखती हूं दस्ताने किताबे इश्क़ की नहीं इनसे पाक मोहब्बत किसी की सच्चा और नेक इश्क़ है इनका साथ देना काम है इनका किताबों का इश्क़ कभी बेवफाई नहीं करता हर मुश्कल में हाथ है थामे रखता छोड़ो इंसानी इश्क़ का फलसफा वक्त ज़रूरत काम आयेगा इश्क़ किताबों का।। - प्रीती सचान

कविता: अफसोस नहीं

" अफसोस नहीं " ऐ मेरी मोहब्बत मै तेरे दूर जाने का अफसोस नहीं करती   तू अकेली नहीं गई  तेरे साथ मेरी रूह भी गई है ज़िन्दगी की उलझनों से कभी फुरसत मिले तो बीते हुए पलों में उनको भी तलाश लेना  जिन्होंने तुमसे नहीं तुम्हारी रूह से मोहब्बत की । कब्र में तो जिस्म दफ्फन होते हैं रूह- ए- मोहब्बत तो आज़ाद होती है कभी बागो में खिले फूलों पर मंडराती तितली की तरह कभी हवाओं में घुली सोंधी खुशबू की तरह नदियों में उफनाते जल की तरह सूरज की सुनहरी धूप की तरह जिसे महसूस किया जा सकता है,पाया नहीं जीवन में कभी अकेलापन लगे तो खुद को कभी अकेला मत समझना जब मेरी रूह जिस्म से आज़ाद हो उस वक्त भी तुम्हारे साथ होगी इसलिए मै तेरे दूर जाने का अफसोस नहीं करती।। -  प्रीती सचान

Mathematics - Why & why?

Why we study mathematics ? In many disciplines, the history of the twentieth century tells of the introduction of more and more mathematical and statistical techniques. Mathematics has been established as a universal ingredient in the understanding of the world, and is the language used in conveying this understanding. Now, in the twenty-first century, higher mathematics and statistics are not just tools for physical scientists and engineers, but also of crucial importance in business, economics, social sciences, medicine, and many other fields. Many mathematicians delight in the aesthetic appeal of their subject; however, it is ultimately the application of mathematics that makes it a critical element in modern civilization.  Statistics is a subfield of the mathematical sciences. Its applications to new technologies and big data are so numerous that it warrants its own major; however, to study statistics is essentially to study mathematics. When we refer to "mathematics&qu

कविता: सीख लिया हमने

✒️ "सीख लिया हमने" अब संभलना सीख लिया है हमने, गिर कर उठना सीख लिया है हमने, बचपन में चलना सिखाया था मा बाप ने, आज खुद से चलना सीख लिया है हमने, आज खुद संभलकर लोगो को,  संभालना सीख लिया है हमने, अब किसी  सहारे के बिना भी, चलना सीख लिया है हमने, रोते को हसाना सीख लिया है हमने, छोटे पंखों के परिंदो को भी,  उड़ना सिखा दिया है हमने, अब गिर कर संभलना सीख लिया है हमने ।   - प्रीती सचान   

कविता: मुसाफिर

. "मुसाफिर" जिंदगी एक खोज रही मै मुसाफिर ही रही इस घर से उस घर तक चली नाम को तरसती रही निगाहें मुझ पर ही टिकी मेरे लिए ना घड़ी बनी मै मुसाफिर ही रही आहट मेरी पहचाने न कोई आरज़ू फर्ज ने है कुचली अब बगावत पर हूं अडी रूह भी है सहम रही  मै मुसाफिर ही रही ।                       -   अर्पित सचान                

कविता: मेरी परछाई

. मेरी परछाई आज पूछ ही लिया परछाई से, क्यूं देती हो तुम साथ मेरा  थोड़ा रुक कर बोली, तुझे ना हो कभी अकेलेपन का अहसास कैसे तुझको छोङू अकेला,  जब मै और तुम एक ही है  काया भले ही हो अलग - अलग पर वजूद तो एक ही है, जब दुनिया छोड़ती है तेरा साथ,  तब भी मै होती हूं तेरे साथ जब अपने ही करते है खाक, तब भी मै होती हूं तेरे साथ तू अपने मन की बात कहे ना कहे मुझे सब देती है सुनाई, तेरी हंसी, तेरा दुख, तेरा दर्द सब देता है मुझे दिखाई, तेरे उत्थान से पतन तक, बस मै ही तो होती हूं तेरे साथ  क्योंकि मै हूं तेरी परछाई, कैसे छोड़ दू तेरा साथ ।। -- प्रीती सचान (Teacher)

तस्वीर में श्री राम छोटे और मोदी बड़े क्यों??

  जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। कुछ लोगों को इस तस्वीर पर आपत्ति है।  विरोधी मानते हैं कि तस्वीर में श्रीराम से बड़ा मोदी को दिखाया गया। अब सोच की कोई सीमा नहीं है, देखने का अपना अपना दृष्टिकोण है । जैसा दृष्टिकोण होगा सम्भवतः दिखाई भी वैसा ही पड़ेगा। तो दृष्टिकोण की कश्मकश में विरोध करने वाले विरोधियों से मुझे कुछ कहना नहीं है। लेकिन विरोध से पहले इस तस्वीर के तमाम पहलू पर गौर फरमा लिया जाए  पहली बात, हम अपने घर में बाल-गोपाल की पूजा करते हैं। मेरे घर के मंदिर में भी नन्हें बाल गोविंदा विराजमान है। इसका मतलब ये नही हुआ कि घर मे रहने वाले लोग उन से बड़े हो गए। जन्माष्टमी में मक्खन-मिश्री खिलाते हैं। वो बाल-गोपाल कितने बड़े होते हैं? ईश्वर एक शक्ति है,,आराधना है,, तपस्या है,, प्रेम है,, समर्पण है,, भावना है,, सकारात्मकता है,, खुद से खुद को आत्मसात करने का जरिया है। छल, कपटता, घृणा, ईर्ष्या, तो बिल्कुल नही। वहीं श्रीराम के परमभक्त हनुमान ने दिव्य रूप धारण किए थे। अगर आपने रामायण देखी या पढ़ी होगी तो शायद आपको पता भी होगा उसमें बहुत अच्छे से बताया गया  है कि दिव्य विराट रूप ध

|| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ||

✒  लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है । चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है ॥ मन का साहस रगों में हिम्मत भरता है । चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है ॥ मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाता है । जा जा कर खाली हाथ लौट कर आता है ॥ मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में । बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में ॥ मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो । क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो ॥ जब तक न सफल हो, नींद – चैन को त्यागो तुम । संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम ॥ कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥ -- ✒ हरिवंश राय बच्चन    Follow on facebook Subscribe for more updates <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></

|| कोई दीवाना कहता है ||

✒  कोई  दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ! ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !! मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है ! कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !! यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं ! जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !! समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता ! यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !! मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले ! जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !! भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा! हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!! अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का! मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!! ---- कुमार विश्वास  follow on facebook

मधुशाला

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।  प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२। प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला, मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३। भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला, कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ! पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४। मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला, भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला, उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ, अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५। मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, 'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला, अलग-अल

छोड़ दिया है

✒   छोड़ दिया हमने वक्त से टकराना बांधकर  उम्मीदे फिर बिखर जाना  उलझे है हम, न दिखे कोइ ठिकाना मानो परीक्षा में आया कोई प्रश्न अनजाना  ना होना मायूस तुम ना हार अपनाना  करते रहो कर्म, ना फल की उम्मीद लगाना  है आशा-निराशा का ये रिश्ता पुराना  इस कठिन डगर में बस चलते जाना  --अर्पित सचान  follow on facebook Whatsapp Me Follow for more updates हमारी जिंदगी कुछ हंसना गाना शुरू करो

हमारी जिंदगी ||

✒  हमारी जिंदगी   ऊपर वाले ने भेजा हमें  कोरे कागज के साथ  कि हम लिख सके  हमारी जिंदगी  हमने जैसा समझा  हमने जैसा किया  वैसे ही लिख दी  हमारी जिंदगी  मिटाने चले दुख कई बार मिली न रबर क्योकि   खून से लिखी थी हमारी जिंदगी कही आशू बह रहे थे कही गुब्बारे फूट रहे थे बस दो अक्षरो मे थी हमारी जिंदगी जब हम समझ सके क्या है जिंदगी उसने छीन ली हमारी जिंदगी बस इतनी सी थी हमारी जिंदगी            ✒ अर्पित सचान  follow on facebook See my thoughts to touch thi s To see my other Pages touch this Follow my thoughts on the the yourQuote

Chandrayaan - 2 (Exploring the unknown)

Chandrayaan-2 Moon-craft  is India's second lunar exploration mission after Chandrayaan-1.Developed by the Indian Space Research Organisation (ISRO), the mission is planned to be launched to the Moon by a Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III (GSLV Mk III). It includes a lunar orbiter, lander and rover, all developed domestically. The main scientific objective is to map the location and abundance of lunar water. Chandrayaan-2 will attempt a soft landing of a lander and rover in a high plain between two craters, Manzinus C and Simpelius N, at a latitude of about 70° south. The wheeled rover will move on the lunar surface and will perform on-site chemical analysis. It can relay data to Earth through the Chandrayaan-2 orbiter and lander, which will fly on the same launch. Launch of Chandrayaan-2 was originally scheduled for 14 July 2019 at 15 July 2019 2:51 IST but due to a technical glitch on the launcher it was cancelled 56 minutes before launch and postponed to 22 Jul

कविता : कुछ हसना-गाना शुरू करो

             " कुछ हसना-गाना  शुरू करो"                           कुछ तो सोचा ही होगा, संसार बनाने वाले ने |            वरना सोचो ये दुनिया जीने के लायक नहीं होती ||         तुम रोज सवेरे उठते हो, और रोज रात को सोते हो,           जब भी कोई मिलता है अपना ही रोना रोते हो, ये रोना-धोना बंद करो कुछ हंसना गाना शुरू करो, बेशक मरने को आए हो पर बिना जिए तो नहीं मरो || इन पेड़ों से इन पौधों से कुछ कला सीख लो जीने की,  वरना यह हंसमुख हरियादी इतनी सुखदायक क्यों होती, वरना सोचो यह दुनिया जीने के लायक क्यों होती, कुछ तो सोचा ही होगा संसार बनाने वाले ने || आप जिसे दुख कहते हैं वह क्यों फिरता है मारा मारा, इतना शक्ति भूत होकर भी क्यों कहलाता है बेचारा, वह भी अपनी सुख की खातिर आप तलक आ जाता है, मुझको मेरा दुख दे दो कहकर झोली फैलाता है || हर दुख का भी अपना सुख है जो छिपा आपके भीतर है, यह छम्मक छैया सुख-दुख की अपनी सुर गायक क्यों होती, वरना सोचो यह दुनिया जीने के लायक क्यों होती, कुछ तो सोचा ही होगा संसार बनाने वाले ने || इस दुनिया में इस जीवन
In life the person fails as often, He does something new in every failure, Just need to recognize it.                                        - Arpit Sachan             www.facebook.com/arpit.sachanh