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कविता : सफर का हमसफर

. 🖋️ "सफर का हमसफर" वो साथ चले, जब तक रास्ता साफ था, उसने हाथ थामा जब तक मंजिल पास थी, यादें बहुत वादे बहुत, बहुत सी बातें थीं, सफ़र लम्बा पर साथ तुम्हारा छोटा था, हाथ छूटा तेरा पर साथ हमारा कायम था, दर्द में आंसू मेरी आंखों से बहा करते थे, खुशी में लब तेरे हंसा करते थे, कभी कम ना होने दिया एहसास तुम्हारा, दिल में चिराग़ जलाए रक्खा है आज भी, फिर हाथ को तू थमेगा मेरे, जब मंजिल पास होगी, फिर साथ होगा तेरा उस सफर में, जिसमें काफ़िला मेरे पीछे होगा, और अश्क तेरे, तेरे साथ होंगे, उस दिन तू अश्क बहाएगा मेरे साथ को, जिस दिन मै अपनी मंज़िल को पाऊंगी, और तू अकेला ही सफ़र का हमसफर बन जायेगा ।             -🖊️ प्रीती सचान

कविता : मैं और वो

🖋️ "मैं और वो"  दिलबर का एहसास अधूरा सा है  वो पास है फिर भी दूर है, ये उसकी खुशबू है या कोई इत्तर होश खो रहा हूं मै इस बेहोशी में भी होश सा है, चुप हूं मै है वो भी चुप पर यहां शब्दों का शोर सा है, बैठा हूं मैं है वो रही हस ये हसना मुझे सुकून सा है, देखती है वो मुझे यू आहे भर भर के  ये मंजर ये फिजा मानो राहत सा है, कहते है लोग ये इश्क नहीं आसान पर उसका होना ही मंजिल है, ठहराव है, हां उसे ही पता हु ख्वाबों ख्यालों में वो कुछ कहती है उसका सुनना जन्नत सा है ।           - 🖊️ अर्पित सचान Follow on Facebook

कोरोना की देश में भयावहता और निष्क्रिय सरकार और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

भारत में आज कोरोना और उसके कारण हुई परेशानियों से देश पूरी तरह परिचित है, जहां एक तरफ लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। वहीं दूसरी ओर सरकार इन परेशानियों को लेकर परेशान है। मैं यह कोरोना की आई दूसरी लहर के लिए किसी हद तक हमारे देश की सरकार को ज़िम्मेदार मानता हूं | कहीं ना कहीं सरकार से इसको समझने एवं अपनी सत्ता लोलुपता की चाह में गलतियां हुईं हैं जिसका खामियाज़ा आज पूरा देश भुगत रहा है। अगर सरकार ने समय पर कोरोना के खिलाफ अपने सख्त कदम उठाए होते, तो आज हमारा देश इसके प्रकोप से सुरक्षित होता, लेकिन राजनीति और अपना भला देखने वालों ने तो देश के लोगों को ही भुला दिया शायद वे भूल गए कि देश के आम जन मानस से ही सरकार का निर्माण होता है। कोरोना की भयावहता और इन विपरीत परिस्थितियों में, जो हमारे देश की सरकार का सबसे खराब निर्णय रहा वो है अपनी सत्ता की भूख के लिए उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में चुनाव कराना । शायद ही आपको कोई अवगत कराए मैं खुद उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ज़िले के एक शहर पुखरायां का निवासी हूं और मैंने बखूबी यह अनुभव किया है कि इन चुनावों ने देश में कोरोना की भयावहता ...

कविता : कोरोना की भयावहता

. 🖊️   "कोरोना की भयावहता" क्षति बतलाने को मौतों का आंकड़ा गिना रहे मगर यह बात, तो सिर्फ वही जानता जो अपनो की लाशों का बोझ उठा रहा कहीं दर्द बताने को कोई रहा नहीं कोई दर्द लिए है घूम रहा कुछ तो है इतने डरे-डरे कि दर्द बांटने को तैयार नहीं मीडिया अपने आंकड़े सुना रही सरकार अपने आंकड़े बता रही क्या है क्षति? कितनी है क्षति? कोई जानता ही नहीं ।                              - 🖊️ अर्पित सचान 

Quick Byte: Can Double Masking Affect Our Oxygen Level In The Body?

  Right from the beginning of the second wave in the country, many experts and governments have been requesting people to leave the house by putting on double masks and if they are sitting close to their relatives in the house, then use double masks. The second wave of corona infection in the country is infecting people at its ravishing speed. Even today, more than 4 lakh new patients of corona infection have appeared across the country. All the weapon weapons in defense of the corona are being told face mask only. Right from the beginning of the second wave in the country, many experts and governments have been requesting people to leave the house by putting on double masks and if they are sitting close to their relatives in the house, then use double masks. In odd circumstances, when experts are. advising to apply double mask, a message is becoming viral on social media, claiming that for a long time, the amount of carbon dioxide in the body can be increased and oxygen can be in...

कविता: मुहोब्बत

. मुहोब्बत उसने पूछा- मुहोब्बत क्या है मैंने कहा 'आग  और दिल? 'चूल्हा है वो मुस्कराई और बोली- तो क्या पकाते हो इस पर? 'रिश्ते और जज्बात' ये चूल्हा जलता कैसे है? 'बातो से मुलाकातों से' उसने शरारती लहजे में पूछा- अच्छा तो मैं क्या हूं? मैंने कहा- "तुम, रोशनी हो और तपिश भी" वो मुस्कराई और शांत हो गई। उसने नहीं पूछा धुआं क्या है? वो अब भी नहीं जानती, मुहोब्बात क्या है । 🖊️ अर्पित सचान

कविता: नारी

.  'नारी' अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, रचती तू इतिहास, भविष्य भी है, ईश्वर की अनसुलझी पहेली है तू,  अम्बर सा विशाल आंचल है तेरा,  धरती सी सहनशील है तू, तपती धूप में ठंडी हवा का छोका है, सर्द मौसम में भीनी सी गर्माहट का एहसास है तू, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, तेरे अन्दर श्रजन की शक्ति, तेरे अन्दर ही पतन है, दुर्गा, काली तुझमें है समाई, समय-समय पर तुझमे दी है दिखाई, हर मुश्किल में इनकी ही शक्ति काम तेरे है आई, अब्ला नहीं तू शक्ति है पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती है, बसती तुझमें ब्रम्हांड की शक्ति है, जिसका न कोई आदि न अंत है, आकार में बंधी निराकार शक्ति है तू, आजाद कर खुद को दुनिया के झूठे बंधनों से, पंख फैला भर ऊंची उड़ान तू, अब तो पहचान खुद को मिटती तेरी हस्ती क्यूं??? - प्रीती सचान (प्रकृति)